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Sunday, September 15, 2019

ऐ मासूम दिल – अरुण कुमार झा बिट्टू

ऐ मासूम दिल तू जवान क्यों हुआ ।
दुनिया की भिन्न बातो से पहचान क्यों हुआ ।
पहचान तो ठीक था गलत नहीं है ज्ञान।
ये ज्ञान तेरे जहण पे अशरदा क्यों हुआ।
ऐ………

सच लबो पे आज क्यों थरथराने लगा ।
झूठे को भी देख कर क्यों मुस्कुराना पड़ा ।
देख कर गुनाह क्यों चीखता नहीं है दिल ।
सह कर गुनाह का भागीदार क्यों हुआ।
ऐ ………..

कल तक तो मां का आंचल तेरे लिए था खास ।
भाई बहन से जंग और फिर वही मिठास ।
आज शब्द ही क्यों दीवार बन गई।
अपनों से प्रेम वो मिठास क्यों नहीं ।
तेरा इतना अलग अब पहचान क्यों हुआ ।
ऐ ………

क्यों लब पे खुशी खुल के खनक अब पाती नहीं ।
क्यों दर्द भरी पोटली डबडबाती नहीं।
हर पल काम काम हैं, हैं जिंदगी रफ्तार। ।
एक पल सकूं तुझको आराम क्यों नहीं।
कल की खातिर इतना तू परेशान क्यों हुआ ।
ऐ………..

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