कैसे कहूं तुझसे कि मुझको दर्द हुआ है
मौसम खुशी का बीत अब तो सर्द हुआ है
जो मुस्कुरा रहे हैं उनके सर तो झुक गए
परेशान जिंदगी में फकत मर्द हुआ है
मौसम ने साथ ना दिया तो पात क्या करे
वो भी तो सूख के यहां बस जर्द हुआ है
लोगों के दिल ना साफ़ हैं अब तो ये मान लो
हर आईने पे देखो जमा गर्द हुआ है
कुछ हाल है अजीब सा मधुकर तेरा यहां
रिश्तों का जाने गुम कहां पे फर्द हुआ है
शिशिर मधुकर
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