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Saturday, June 8, 2019

मुझे शर्म आती है

बारह लोगों की क्लास में सिर्फ एक लड़की हो तो उस पर ध्यान जाना नैचुरल बात है. और ग्यारह कॉलेज जाने वाले लड़कों से मिलने वाले अटेंशन के चलते एक कॉलेज जाने वाली लड़की का खुद को किसी परी से कम न समझना भी नैचुरल है. वो बात अलग है की सारा अटेंशन सिर्फ दो घंटे तक सीमित था—एक घंटे का क्लास में और आधे-आधे घंटे का क्लास के पहले और बाद में. आखिर शाम की कॉलेज के बाद वाली कंप्यूटर क्लास थी. सब नए और अनजान क्लासमेट्स जिनसे सिर्फ रोज़ का दो घंटे का राबता था.

लेकिन हफ्ते-दो-हफ्ते में ही मेनका ने सभी ग्यारह के लिए क्लियर कर दिया था की उसका अटेंशन सिर्फ माधव को मिलेगा. बाकी दस के लिए अब बस.

वैसे मेनका के पास और कोई चारा भी नहीं था. पूरी क्लास में एक माधव ही था जो बाकी सबसे बेहतर था. रंग-रूप, पढाई, कन्डक्ट, कम्युनिकेशन, और सेन्स ऑफ़ ह्यूमर, इन सभी डिपार्टमेंट में माधव ने बाकी सबको पीछे छोड़ दिया था. स्कूलिंग और पढाई-लिखाई का असर था.

कैथोलिक स्कूल में पढने से और कुछ भले न सीखें आप, अंग्रेज़ी में गिट-पिट बखूबी सीख जाते हैं. और आज के ज़माने में देखा ये गया है की हिंदी आपको दाल-चावल तो दिला देगी, लेकिन अगर आपको मटर पुलाव और बिरयानी पसंद है तो अंग्रेजी ज़रूरी है.

माधव ने अपनी बिरयानी सुनिश्चित कर ली थी.

और इधर मेनका भी नॉन वेज प्रेमी थी. जी आप सही सोच रहे हैं. वो वाला भी.

लेकिन समस्या ये थी की माधव एक आल बोयज़ स्कूल में पढ़ा था और नया-नया कॉलेज आया था. आल बोयज़ स्कूल वाले लड़कों के लिए लड़कियों को निहारना और नापना जितना सुगम होता है, उससे कहीं दुर्गम संवाद स्थापित करना होता है. माधव भी दो घंटे का नैन सुख लेता था. लेकिन माधव को पता ही नहीं चल पाया की उसके अन्दर के रस की पिपासा मेनका में जागृत हो चुकी थी.

“एक्सक्यूज़ मी. विल यू प्लीज़ हेल्प मी विद दिस फ्लोचार्ट,” हिरनी जैसी मासूम आँखों से माधव को निहारते हुए मेनका बोली.

ऐसा कुछ अचानक सुनने के लिए माधव तैयार न था. उसके साथ खड़े लड़कों के लिए ये आखिरी और जानलेवा वार था. वो अब तक खुद को झुठलाते थे की “नहीं बे, मेनका सिर्फ ऐसे ही देख लेती होगी माधव को. अदा है उसकी बस. बात-वात न करेगी न ज़्यादा भाव देगी. और साला माधव बोल तक तो पाता नहीं है. लाइन देगा भी भला कैसे.”

खैर, आज मेनका ने अंततः पिक्चर क्लियर कर दी सभी के लिए. सभी वहाँ से छितरा गए और माधव और मेनका को अकेला छोड़ बाहर निकल आये क्लास के.

“हाँ श्योर आई कैन हेल्प यू. कम सिट,” माधव ने घबराहट छिपाते हुए बगल में रखी पटरे वाली कुर्सी की ओर इशारा करते हुए उसे बैठने को कहा.

समझने समझाने का दौर शुरू हुआ.

इतने दिनों में पहली बार मेनका के बगल में बैठा था और स्लीवलेस टॉप से झांकता मेनका का कन्धा बिलकुल माधव की बाहों के बगल में था और बीच बीच में छू रहा था. हर बार जब बाहों से बाहें टकरा रहीं थीं, माधव को एक मज़ेदार सी सिहरन हो रही थी. साथ की मेनका के बालों से क्लिनिक प्लस वाली महक आ रही थी जो माधव को वाकई मदहोश कर रही थी. मेनका को अपने इतने करीब पा कर माधव ने कुछ एक सेकंड में ही जितना हो सकता था मेनका को हर एंगल से निहार लिया. मेनका ने भी पूरा मौका दिया और रह-रह कर अपने बाल इधर-उधर करे, कभी टॉप का गला ठीक करा कभी पेन की कैप उठाने के लिए झुकी और इस बीच माधव के चेहरे की ओर एक बार भी न देखा. शायद ये तरीका था वो सब अनदेखा करने का जो करते हुए माधव काफी कुछ देख रहा था.

पन्द्रह मिनट के इस दौर में माधव को अपने जवान होने का भरपूर एहसास हो चुका था. अंततः मेनका ने मुस्कुरा कर माधव को देखा और बोली, “थैंक्स यार. यू मेड इट सिम्पल. आई होप मैंने तुम्हें परेशान तो नहीं करा...”

माधव में शायद जवानी का जोश भरा हुआ था. वैसे तो मूंह से एक बोल नहीं निकलता था लेकिन मेनका को जवाब देते हुए बोल पड़ा, “अरे नहीं. नॉट ऐट आल. ऐसी परेशानी तो मैं रोज़ सह सकता हूँ.” मेनका गर्दन पीछे करते हुए हंसने लगी और बोली, “ओके. हमें भी वैसे तुम्हें परेशान करने में मज़ा आया. करेंगे अब रोज़.”

ये कह कर मेनका हाथ हिलाती बाय करती क्लास से निकल गयी.

अब तो रोज़ मेनका को कोई न कोई समस्या से जूझती और माधव रोज़ उसे मुसीबत से निकालता और खुद कहीं और डूब जाता.

दोनों इस डूबने उबरने के दौर को एन्जॉय करते थे. बाकी क्लास के पास हालात से समझौता करने के सिवा कोई आप्शन नहीं था. माधव वाली स्मार्टनेस और अप टू डेट पर्सनालिटी उनके लिए फिलहाल सपना था और मेनका भी ज़ाहिर तौर पर सपना बन गयी थी. मेनका तो पहले भी और किसी से बात नहीं करती थी, माधव से औरों ने अब बात करना लगभग बंद ही कर दिया था.

किसी ने सही ही कहा है की जब आप अपने से विपरीत जेंडर में दोस्त बनाते हैं तो आप अपने जेंडर के दोस्त खोने लगते हैं.

इस बीच माधव को पता चला मेनका उससे दो साल बड़ी थी, लेकिन उम्र के फासले से दोनों को ऐतराज़ नहीं था. काफी फ्रेंडली हो गए थे दोनों.

“आज तो बड़े डैशिंग लग रहे हो यार. दिस वेल फिटेड टी शर्ट सूट्स यू,” मेनका ने माधव को देखते ही कॉम्प्लीमेंट दे दिया. माधव एकदम ग्लैड हो गया. आज मेनका ने आखिर उसकी फिज़िकल अपीयरेंस को अप्प्रेशियेट करा था. माधव जवाब में सिर्फ ब्लश कर पाया.

माधव के पास आते ही मेनका इतराते हुए नकली मायूसी से बोली, “आई विश आई टू वाज़ अप्रिशियेटेड.”

माधव स्मार्ट था. फ़ौरन इशारा समझ गया. लेकिन झेंपू था इसलिए कुछ झिझक कर बोला, “अरे नहीं यार. तुम तो गज़ब हो...क्या कहूं मैं अब...मुझे शर्म आ रही है...यू आर वैरी हॉट मेनका...” कहने के बाद माधव को लगा कुछ ज़्यादा बोल दिया उसने इसलिए घबरा कर चुप हो गया और मेनका को सहम कर देखने लगा उसका रियेक्शन जानने के लिए. मेनका उसे आँखें फैला कर देख रही थी. लेकिन दो सेकंड बाद भरपूर मुस्कराहट के साथ बोली, “रियली?...थैंक्स माधव...और हाँ, मुझसे इतना शरमाया मत करो. जिसने करी शर्म उसके फूटे कर्म.”

हालाँकि माधव ने वो पाठ औपचारिक रूप से नहीं पढ़ा था, लेकिन इस अनभव ने उसे वो दिव्य ज्ञान मिल गया था की लड़कियों को अपनी अपीयरेंस के लिए तारीफ सुनना पसंद होता है. वैसे अपनी तारीफ सुनना सभी को पसंद होता है, लेकिन लड़कियों को कुछ ज़्यादा ही पसंद होता है.

अगले दिन मेनका एक फिटिंग वाली ड्रेस पहन कर आई और माधव उसे देखते ही थूक निगलते हुए बोला, “हेल्लो, मेनका.” वो सिर्फ ऊपर से नीचे मेनका को देखता रह गया और मेनका समझ चुकी की थी फिगर हगिंग टॉप और लो वेस्ट जींस पहनना सार्थक हो गया है. लेकिन जब तक तारीफ न सुन ली जाए भला कैसे यकीन हो.

“सिर्फ हेल्लो? अरे भई और कुछ नहीं बोलोगे?” मेनका हैरत में माधव को देखते हुए बोली. माधव उसके कान के पास आ कर बोला, “डोंट माइंड यार, बट यू आर लुकिंग वैरी सेक्सी.” माधव को सुन कर मेनका थोड़ा पीछे हुई और मुस्कुरा कर उसे अच्छे से देखा और माधव का हाथ पकड़ उसके कान में बोला, “आई ऐम ग्लैड यू फंड मी सेक्सी. थैंक गॉड तुम शर्माए नहीं आज. गुड.”

क्लास के बाद मेनका बोली, “सुनो आज चलो लेट्स स्पेंड सम टाइम टुगैदर.”

ये सेंटेंस सुन कर माधव थोड़ा झिझक गया. उसके स्कूली दोस्तों से मिले ज्ञान से उसे लगा की लड़कियों के ऐसे स्टेटमेंट का अर्थ होता है डेट का ऑफ़र और उस ऑफ़र का मतलब किसी रेस्टोरेन्ट में जा कर खाना पीना और बिल लड़के से भरवाना होता है. अब माधव ठहरा एक मिडल क्लास फैमली का स्टूडेंट. जेब में बस स्कूटर में एक लीटर पेट्रोल भर के पैसे इमरजेंसी फंड के तौर पर रखता था, और 20-25 रूपए अलग से. न ज़्यादा दोस्ती यारी थी न होटल बाज़ी, सिगरेट, मसाला जैसा कोई शौक़ था.

माधव खर्चे का सोंच घबरा गया लेकिन मेनका के साथ डेट को नकार कैसे सकता था भला. लेकिन मेनका न सिर्फ उम्र में, तजुर्बे में भी बड़ी थी माधव से. उसके इरादे कुछ और थे और माधव से एक्सपेक्टेशन भी अलग थी.

“लेट्स गो टू सम क्वाईट प्लेस. जस्ट यू एंड मी. आई डोंट वांट टू गो टू एनी रेस्टोरेन्ट,” मेनका ने संजीदगी से बोला. माधव की जान में जान आई. वो बोला, “श्योर. लेकिन ऐसी जगह कहाँ मिलेगी? नदी किनारे चलें?”

मेनका बोली, “मुझे पता है. इसी बिल्डिंग में हैं. फोर्थ फ्लोर और फिफ्थ के बीच वाली सीढियां. वहाँ बैठते हैं. फिफ्थ और फोर्थ फ्लोर खाली हैं इसलिए वहाँ लिफ्ट नहीं रूकती और सीढ़ी से कोई नहीं आता. वहाँ सन्नाटा रहता है. वहाँ बैठते हैं.”

माधव ने मुस्कुरा कर उसे देखा और उसने वापस मुस्कुरा कर मुझे. बिना कुछ कहे ही कुछ कह दिया गया, कुछ समझ लिया गया.

मंजिल के पास पहुँचते ही अचानक मेनका ने माधव का हाथ पकड़ उसे अपनी ओर खींचते हुए और इतराते हुए कहा, “यार मैं तो थक गयी सीढ़ी चढ़ते-चढ़ते. काश मुझे तुम गोद में लेकर चलते...” माधव ने मुस्कुराते हुए कहा, “चलो यहीं बैठते हैं” और साथ ही वो फ्लोर को साफ़ करने के लिए झुका, लेकिन तभी मेनका ने कहा, “नहीं, यहाँ नहीं. थोड़ा और ऊपर. ठीक दोनों फ्लोर के बीच में. वहाँ से दिखाई देगा कौन आ रहा ऊपर से नीचे या नीचे से ऊपर.” माधव ने मासूमियत से बोला, “अरे तो क्या फर्क पड़ता है कोई आये तो. आएगा तो चला जायेगा. हमसे मिलने थोड़े ही आएगा.” मेनका चिढ़ते हुए बोली, “तुम यार गधे हो. जितना कह रही हूँ, उतना सुनो. चलो और ऊपर.”

मेनका की ऐसी सटीक प्लैनिंग सुन माधव हैरान हो गया. उसे तो इतना कुछ पता भी नहीं था बिल्डिंग के बारे में. लेकिन मेनका को तो मानो पूरा फ्लोर लेआउट पता था. लेकिन उस वक़्त माधव को तो डेट पर जाना था. चुप चाप खैर मेनका के साथ उसके मनपसंद स्पॉट पर पहुँचा. उस चढ़ती उतरती सीढ़ियों के बीच वाली बड़ी चबूतरे वाली सीढ़ी और उससे लगी हुई बड़ी सी खिड़की जिससे शाम का अच्छा व्यू मिल रहा था.

“कैसा लगा?” मेनका ने इतराते हुए पुछा. “अच्छा है,” माधव ने मेनका को निहारते हुए बोला. सन्नाटा था और इस बात की कोई झिझक नहीं थी की और कोई उसके कन्डक्ट को जज कर रहा है इसलिए बिलकुल बेलौस अंदाज़ में मेनका को ऊपर से नीचे तक तरसी निगाहों से नाप लिया. मेनका सब समझ रही थी और सब उसके लिए नार्मल था. शायद ऐज़ पर प्लैन था.

“माधव, देखो तो मैं थोड़ी मोटी लग रही हूँ न,” मेनका ने अपने पेट पर हल्का सा हाथ फेरते हुए माधव को देखने के लिए इनवाईट करते हुए बोला. माधव ने इनविटेशन स्वीकारते हुए उसकी टी शर्ट और लो वेस्ट जींस के बीच से झांकता पेट और कमर देखी और बोला, “नहीं तो, ऐसा तो नहीं लगता.” मेनका ने उसका हाथ खींच कर अपनी कमर कर रख मासूमियत से बोला, “तुम मेरा दिल रखने को मत बोलो. ये देखो...हैं न फ्लैबी.”

माधव उसकी कमर को सहलाता हुआ उसे देखने लगा और अचानक दोनों ने एक दूसरे को हग कर लिया और एक भरपूर नजदीकी का एहसास करा. मेनका ने उसके चेहरे को अपनी ओर खींचा और माधव के होंठों को अपने होंठों की अपनी गिरफ्त में ले लिया.

माधव को तो समझ ही नहीं आ रहा था की ये सब हो क्या रहा है. वो मेनका के पूरे शरीर के हर उतार चढ़ाव को महसूस कर रहा था. उसे लगा इस सपने को बस अपनी रफ़्तार पर चलने दो. लेकिन दिल तो बच्चा है जी. सपने को अपने हिसाब से देखने के चक्कर में माधव के होंठ और हाथ कुछ तेज़ी में आ गए. और मेनका के प्लैन को डिस्टर्ब करने लगे.

“क्या कर रहे हो यार. सांस तो लेने दो...कान्ट यू बी स्टिल? ऐसे थोड़े ही होता है....,” मेनका ने हल्का सा झिड़कते हुए कहा और माधव को थोडा धक्का दिया. लेकिन माधव तो अपने होश में था नहीं और मेनका को अपनी बाहों में भरने की कोशिश करने के लिए जैसे ही बढ़ा, मेनका बोली, “नहीं यार. मूड स्पोइल कर दिया. वेट. अच्छा बताओ कभी सेक्स करा है? फोरप्ले पता है कैसे होता है?....आई थिंक आई नीड टू टीच यू दिस.” फिर हाथ पकड़ कर माधव को नीचे सीढ़ी पर बैठाया.

फिर चला काम शास्त्र के ज्ञान का ऐसा दौर की माधव के होश उड़ गए. वो अचानक एक एहसास-ए-कमतरी से दबा महसूस करने लगा. मेनका का अनुभव माउंट एवेरेस्ट की ऊंचाइयों सा था, जहाँ जाने की उस वक़्त माधव सिर्फ सोच सकता था. पोज़ीशन्ज़, फोरप्ले, ओर्गैज्म, और न जाने क्या क्या सुन लिया माधव ने उस आधे घंटे में मेनका के बगल में बैठ कर.

माधव के लिए सब नया था और उसके पास उस टॉपिक में डिस्कस करने को कुछ नहीं था. वो सिर्फ सुन रहा था. एक लिहाज़ से मेनका उसके साथ उस वक़्त जो फिजिकली नहीं कर पायी वो सब शब्दों से कर रही थी.

“मेरी और रोहन की ट्यूनिंग तो ज़बरदस्त है. वे एन्जॉय सच मोमेंट्स,” मेनका ने बातों को समेटते हुए बोला. ये रोहन का नाम सुन माधव का एंटीना खड़ा हो गया.

“ये रोहन कौन है,” माधव ने चौंकते हुए पुछा.

“मेरा फियांसे है,” मेनका ने नॉर्मली बोला.

माधव को समझ ही नहीं आ रहा था की ये सब क्या हो रहा है. खुद से सवाल करने लगा की इसका फियांसे है और ये मेरे साथ ये सब करना चाह रही है और मुझे ये सब बता रही है और इतने नज़दीक भी आ गयी.

माधव ने मन ही मन मेनका को अपनी गर्ल फ्रेंड का मान लिया था. अपनी इन्नोसेंट लस्ट को लव समझता था. लेकिन पिछले आधे घंटे के घटना क्रम ने माधव को ऐसे रोलर कोस्टर का मज़ा दिया की दिमाग ठिकाने आ गए.

एक दम से उसकी तबियत घिना गयी मेनका से. “चलो अब लेट्स गो. आई एम गेटिंग लेट,” बोलते हुए माधव खड़ा हो गया और चलने का इशारा करा.

“अरे लेकिन एकदम से क्या हो गया तुम्हें? मैंने तुम्हें रोका इसके लिए नाराज़ हो क्या? ओहो...कोई बात नहीं...नेक्स्ट टाइम वील एन्जॉय मोर...,” माधव का हाथ पकड़ मेनका ने बोला, लेकिन जब देखा माधव कोई इंटरेस्ट नहीं दिखा रहा है तो बोली, “अच्छा ओके. चलो.”

दोनों वहाँ से निकल गए और अगले दिन मिले. “आर यू ओके?” माधव को घूरते हुए मेनका बोली. जब जवाब में सिर्फ एक फीकी सी मुस्कराहट मिली तो माधव को कोहनी मारते और छेड़ते हुए मेनका बोली, “आई होप यू रिमेम्बर द लेसंज़ आई टॉट यू लास्ट इवनिंग. वाना ट्राई अगेन?”

लेकिन अब सब कुछ बदल चुका था माधव के लिए. अति हर चीज़ की बुरी होती है और यहाँ माधव को अति का एहसास हो चुका था.

माधव मुस्कुरा कर क्लास में चला गया और मेनका थोड़ी कन्फ्यूज़ हो गयी.

उसने पूरी दूरी बना ली मेनका से. वो समझ गया था की मेनका सिर्फ उसे फिज़िकल प्लेजर के लिए अपने अंदाज़ में इस्तेमाल करना चाहती थी. माधव क्यूंकि उम्र और तजुर्बे में कम था इसलिए उसे एक लड़की का ऐसा लिबेरेटेड होना भी अजीब लगा. अजीब से ज़्यादा अनेथिक्ल लगा. वो बात अलग है की जनाब खुद भी मज़े लेना चाह रहे थे.

लेकिन थोड़ा सा फर्क था. माधव के लिए सब नया था. मेनका को कुछ नया चाहिए था.

माधव ने मेनका से दूरी बना ली और बातचीत कम कर दी और धीरे धीरे बंद ही कर दी. लेकिन क्यूंकि लड़का स्मार्ट था, मेनका को समझ नहीं आने दिया की वो उसे अवॉयड कर रहा है. सिचुएशन ही ऐसी बना देता था की बात करने की नौबत न आये.

जल्द ही क्लास ख़त्म हुए और फाइनली दोनों का मिलना जुलना बंद हुआ. फोन नम्बर और पता दोनों को एक दूसरे का मालूम था, फिर भी न माधव ने कभी मेनका को ढूँढने की कोशिश करी न मेनका ने माधव को कांटेक्ट करने की कोशिश करी.

वक़्त बीतता गया और माधव अपनी लाइफ में आगे बढ़ गया. नौकरी चाकरी करने लगा और मेनका अब उसके इतिहास का एक हिस्सा भर थी. वो हिस्सा जिसकी याद तभी आ सकती थी जब माधव इतिहास के पन्ने पलटे और उसमें मेनका को तलाशे.

लेकिन अगर आपकी किस्मत में कुछ पन्ने पलटना लिखा है तो आप पन्ने पलटेंगे ही. आप नहीं पलटेंगे तो वक़्त की ऐसी हवा चलेगी की पन्ने खुद-ब-खुद पलटेंगे और आप पन्ना पढेंगे.

ऐसा ही कुछ मेनका और माधव के साथ भी हुआ.

बैंक में अचानक एक जान पहचाना से चेहरा देख माधव रुक गया. अब वो पहले वाला शर्मीला माधव नहीं था. तीस पार उम्र हो चुकी थी उसकी और कांफिडेंस और मैच्योरिटी काफी बढ़ चुकी थी.

“एक्सक्यूज़ मी. आर यू मेनका,” माधव ने एक ग्लैमरस सी उस जाने पहचाने चेहरे वाली औरत के पास जा कर कहा. वो भी चौंक गयी और दो सेकंड माधव को देख पहचानने की कोशिश के बाद बोली, “माधव...व्हाट अ प्लेज़ेंट सरप्राइज़ यार...वी आर मीटिंग ऑलमोस्ट आफ्टर अ देकेड एंड यू हैवेंट चेंज्ड. इन फैक्ट यू लुक वैरी हैंडसम नाओ.”

मेनका ने एक सांस में ये सब बोल कर माधव को न जाने क्यूँ पिघला दिया. उसका इरादा ऐसा कुछ महसूस करने का नहीं था. उसका इरादा तो सिर्फ हाय हेलो कर आगे बढ़ने का था लेकिन तारीफ सुन पिघल ही गयी उसकी सख्त जान.

“थैंक्स फॉर द कोम्प्लिमेंट्स मेनका. तुम भी बिलकुल नहीं बदली, इनफैकट काफी अच्छी लग रही हो,” माधव ने मुस्कुराते हुए कहा.

“अरे कहाँ यार. अब तो दो बच्चे सँभालने से फुर्सत मिले तो अपना ख़याल रखूँ...तुम सुनाओ क्या हाल चाल हैं....कहाँ हो आजकल...हाउ हैज़ लाइफ बीन सो फार?” मेनका से फिर औपचारिक बात चीत का दौर शुरू हुआ जो बैंक के बाहर तक चला. पता चला उसकी रोहन से ही शादी हुई और वो एक साधारण सी सरकारी नौकरी करता है और मेनका एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करती है. माधव ने भी अपनी सेल्स वाली हाई प्रेशर जॉब के बारे में बताया.

मेनका बात करने के मूड में लगी लेकिन माधव को ऑफिस के लिए देर हो रही थी इसलिए दोनों ने जल्दी से नम्बर एक्सचेंज करे और फिर मिलने के वादे के साथ अपने अपने रास्ते निकल गए.

मेनका में कोई फर्क नहीं आया था. वैसी ही कशिश थी. इन फैक्ट काफी स्टाइलिश और ग्लैमरस हो गयी थी. लेकिन उसकी और उसके हसबेंड की जॉब के हिसाब से कुछ ज़्यादा ही स्टाइलिश लग रही थी. लेकिन माधव ने ज़्यादा सोचा नहीं और उसका नम्बर सेव करते हुए अपने रस्ते निकल पड़ा.

कुछ दिन बाद दोपहर में माधव ऑफिस में लंच कर थोड़ी देर अपने केबिन में रिलैक्स कर ही रहा था की फोन की घंटी बजी. स्क्रीन पर मेनका का नाम फ्लैश कर रहा था. माधव के चहरे पर एक मुस्कान तैर गयी.

“हाय माधव. आई होप तुम्हें डिस्टर्ब तो नहीं करा मैंने..” माधव के कुछ कहने से पहले ही मेनका बोल पड़ी.

“नहीं नहीं...मैं बस अभी लंच करने के बाद रिलैक्स ही कर रहा था...बताओ क्या हाल चाल..” माधव ने मेनका को सहज करते हुए बोला.

“कुछ नहीं यार...बोर हो रही थी...दिल करा किसी दोस्त से बात करूं...इसलिए तुम्हें कॉल कर ली,” मेका की आवाज़ से उसके मुस्कुराने का एहसास हो रहा था.

मेनका की फितरत से माधव वाकिफ था इसलिए उसने सोचा क्यूँ न इस बार वो मेनका से खेल ले. जैसे मेनका ने उसके साथ खेलने की कोशिश करी थी तब.

“अच्छा करा की तुमने कॉल कर ली मुझे. सही बात है हम दोनों अच्छे और काफी करीबी दोस्त रहे हैं,” माधव ने करीबी शब्द पर कुछ ज़्यादा ही जोर डालते हुए बोला, इस उम्मीद में की मेनका औक्वर्ड फील करेगी. लेकिन माधव शायद मेनका को नहीं जानता था.

“हाँ यार. वी वर सो क्लोज़. बट यू वर सच ऐन इडियट. वी हैड सच अ नाईस टाइम दैट इवनिंग. लेकिन तुम उसके बाद एकदम गायब ही हो गए,” मेनका ने माधव को हैरान करते हुए कहा.

माधव सोच में पड़ गया की कैसी औरत है ये. और कोई शादी शुदा दो बच्चों की माँ होती तो ऐसी बात सुन कर ही एम्बैरस हो जाती, लेकिन ये तो सब याद करे बैठी है.

“अब छोड़ो यार. जो बीत गयी वो बात गयी. उस वक़्त जैसी समझ थी वैसे ही रियेक्ट करा,” माधव ने संजीदगी से कहा.

मेनका ने खिलखिलाते हुए कहा,“वैसे बीता अभी कुछ नहीं है माधव. जो कुछ अधूरा छोड़ा था, उसे पूरा अब भी किया जा सकता है.”

माधव के गले में मानों बर्फ का एक टुकड़ा अटक गया हो. गज़ब औरत थी. हिला कर रख दिया माधव को.

“यार लाइफ में कोई एकसाईटमेंट नहीं है आजकल. बड़ी सुस्त रफ़्तार है. न जाने क्यों लगता है तुम उस एकसाईटमेंट को वापस ला सकते हो. आफ्टर आल वे हैड क्वाईट एक्साइटिंग टाइम्ज़,” हँसते हुए मेनका बोली.

माधव के सामने पिक्चर अब साफ़ हो गयी थी. मेनका अब भी वही थी और उसकी ज़रूरतें भी अब भी वहीँ थी. माधव जीवन के अनुभव से समझ चुका था की ऐसी महिलाओं से जितनी दूरी रखी जाए उतना अच्छा.

उसी पल उसने डिसाइड कर लिया की मेनका से फिर नहीं मिलेगा. लेकिन तभी उसने सोचा की क्यूँ न खेला जाए मेनका से, लेकिन सिर्फ फोन पर. माधव को लगा की मेनका जैसी थी वैसी ही है और वो खुद काफी अनुभवी हो गया था इतने सालों में.

पूरे कांफिडेंस और अदायगी से माधव ने बोला, “हाँ श्योर यार. आई ऐम रेडी टू हेल्प यू ब्रिंग बैक द लॉस्ट एकसाईटमेंट इन योर लाइफ.”

लेकिन माधव को नहीं पता था वो मेनका से डील कर रहा है. उसने तब माधव को एहसास-ए-कमतरी महसूस करायी थी, और आज फिर माधव को वही एहसास होने वाला था.

“सो इफ यू आर रेडी टू हेल्प में विद द एकसाईटमेंट, बी रेडी टू पे ऐज़ वेल.”

माधव के कान बजने लगे. मेनका ने उस एकसाईटमेंट के एवज़ में पैसे की डिमांड करी थी. लेकिन खुद को संभालते हुए माधव ने फिर तुरुप डालने की सोची और बोला, “पेमेंट फॉर व्हाट? एकसाईटमेंट तो मैं तुम्हें दूंगा. इस लॉजिक से तो तुम मुझे पैसे दो.”

“माधव, ये तो तुम्हें अच्छे से पता है एकसाईटमेंट किसे कितना मिलेगा. तुम पुराने दोस्त हो इसलिए डिस्काउंट दे दूँगी कुछ. लेकिन डोंट एक्स्पेक्ट फ्री लंचेज़. एवेरी थिंग कम्ज़ ऐट अ प्राइस,” मेनका ने तपाक से बोला.

माधव अब बौखला चुका था. मेनका ने फिर से उसे जीवन का एक पहला एहसास कराया. इस बार एक रंडी से बात करने का अनुभव कराया. एक बार फिर अति हो गयी थी और माधव फिर से घिना गया था उस स्वयंभू रंडी से, लेकिन नार्मल बीहेव करते हुए उसने मेनका से पुछा, “तो क्या तुम पैसे लेकर सेक्स करती हो?”

“सब के साथ नहीं. सिर्फ उसके साथ जो पैसा देने को तैयार हो. फ्री में तो सब ही मिल जायेंगे. बट आई नो आई ऐम गुड ऐट इट. सो व्हाई नॉट चार्ज फॉर इट? और हर्ज़ ही क्या इसमें? आई लव सेक्स. एंड इफ पीपल आर रेडी टू पे मी टू डू व्हाट आई लव टू डू, तो इसमें क्या बुराई? मुझे कौन सा किसी से कोई रिश्ता निभाना है. और फिर इससे फ़ाइनैन्शिय्ल इंडीपेंडेंस काफी मिल जाती है मुझे...हसबेंड की और अपनी सैलरी से मैं अपनी पसंद की लाइफस्टाइल कैसे जी सकती हूँ भला,” मेनका ने बड़ी सहजता से अपनी यौनिक उन्मुक्तता को एक नार्मल हॉबी के रूप प्रेज़ेंट कर दिया. माधव सिर्फ आँखें फैलाये सुनता रहा उसे.

इससे पहले की कुछ बोलता माधव, मेनका ने पुछा, “ये बताओ, क्या सोचा? आर यू रेडी टू पे?”

जवाब में मेनका को कॉल डिस्कनेक्ट होने की टोन सुनाई दी

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