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Thursday, June 27, 2019

असंस्कारी लड़की - एक लघु कथा

वकील - इनस्पेक्टर साहब कोई आसमान थोड़े ही टूट पड़ा, लड़के ने सिर्फ किस ही तो किया है। लड़कपन है साहब, कुछ कीजिए ना, जिससे केस कमजोर हो जाए। अब इसके पिताजी तो अमेरिका हैं, मुझे फोन किया तो अब मेरी तो ज़िम्मेदारी बन जाती है, छुड़वाने की। कुछ कीजिए जिससे केस कमजोर पड़ जाए।

इनस्पेक्टर - वकील साहब, मुझे मेरी ड्यूटी करने दीजिए। आज किस किया है, कल को रेप भी कर सकता है। ऐसे बिगड़े बाप की औलाद को तो सड़ा देना चाहिए जेल में।

वकील - अरे कैसी बात कर रहे हैं, समझ जाएगा, उम्र का तकाजा है, लड़कपन है, जरा सोचिए तो सही, जेल जाएगा तो बड़ा गुनहगार बन कर निकलेगा। वैसे भी पैसे के दम पर क्या नहीं हो सकता, आप जानते नहीं इसके बाप को, सारे गवाह यहाँ तक की जज को भी अपनी तरफ कर लिया जाएगा और बेवजह लताड़ सुन्नी पड़ेगी आपको। मेरी सलाह है, आपको केस किसी भी तरह दबा देना चाहिए। लड़की के घर वालो को समझाओ, आपको आपकी कीमत मिल जाएगी।

इनस्पेक्टर - क्या नाम बताया आपने अपना ?

वकील - जी, राम वर्मा।

इनस्पेक्टर - एक काम कीजिए आप उस लड़की से मिल कर खुद ही समझा दो।

वकील - नहीं! नहीं! मैं क्या मिलूँगा उससे, ज़रूर गिरी हुई लड़की होगी, असंस्कारी होगी तभी तो छोटी सी बात पर थाने आ गयी। यह काम तो आप ही करिए, कुछ लड़की के घर वालो को दीजिये, और बाकी की बड़ी रकम खुद लीजिये।

इनस्पेक्टर ने हवलदार को आवाज़ लगते हुए कहा - ज़रा उस असंस्कारी लड़की को मिलवाओ तो वकील साहब से, देखते हैं खुद समझते हैं या उसे समझाते हैं।

लड़की कमरे में आते ही वकील के गले से लिपट गयी - पापा आपका फ़ोन कितना ट्राइ किया, मजबूर हो कर आपसे बिना पूछे लिखित शिकायत दे दी। ठीक किया ना मैने ?

वकील का चहरा तमतमा उठा, आँखें अंगार बरसाने लगी, मुँह से अपशब्दो की बाढ़ ही आ गयी, लड़की को अलग करते हुए, पास पड़े डंडे से प्रहार किया लड़के पर .........

शुक्र है उस असंस्कारी लड़की का जो उसने रोक लिया, नहीं तो बाप को हत्या के अपराध में जेल जाना पड़ता।

विनीत शर्मा

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