मीठा एहसास हुआ मुझको
जब गोद में आयी तुम मेरे
पूर्ण हो गया जीवन मेरा
जब गोद में आयी तुम मेरे
सारी पीडा़ दूर हो गयी
रुह की ममता जाग गयी
नैनो में एक आशा छायी
जब गोद में आयी तुम मेरे
नया एक अब नाम मिला
नया रुप जीवन में खिला
पतझड़ में फिर से बहार आयी
जब गोद में आयी तुम मेरे
देखा जब पहली बार तुझे
चुँमा जब पहली बार तुझे
दिल अति आनन्दित हो गया
जब गोद में आयी तुम मेरे
डुबते को जैसे किनारा मिले
अनाथ को जैसे सहारा मिले
वो एहसास हुआ मुझको
जब गोद में आयी तुम मेरे
सुनी जब तेरी किलकारी
देखी जब तेरी मनुहारी
दिल में उमंग सा छा गया
जब गोद में आयी तुम मेरे
आशीष यही अब है मेरी
काबिलियत हो तुममे इतनी
इतराऊँ भाग्य पर मै अपनी
कि गोद में खेली तुम मेरे
– कंचन पाण्डेय GURUSANDI MIRZAPUR UTTAR PRADESH
No comments:
Post a Comment