ना ही दिल बदला है मेरा,
ना ही मेरे ज़ज्बात बदले हैं!!
कुछ ऐसा शुरू हुआ ग़मों का दौर,
आज मेरे ये जो हालात बदलें हैं!!
एक रोज उनको सराहा था मेने,
चाहतों की हद से भी ज्यादा!
जिनको चाहा था मैंने,
मौसम के जैसे आज उनके खयालात बदले हैं,
ना ही दिल बदला है मेरा,
ना ही मेरे ज़ज्बात बदले हैं!!
निभाई है मेने रस्में कसमें वादे वफ़ा,
ना जाने फिर भी क्यों है वो मुझसे खफा!
किस-किस को दूँ में अपनी बेगुनाही,
हर रोज़ यहाँ उनके जो सवालात बदलें हैं!!
ना ही दिल बदला है मेरा,
ना ही मेरे ज़ज्बात बदले हैं!!
Naresh Kumar Gujarwasia
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