ग़ज़ल
हों कितने ही गम मुस्कुराते ही रहना l
सभी को सदा बस हँसाते ही रहना l
है खुशबू अगर भरनी इस ज़िन्दगी में,
तो काँटों से दामन छुड़ाते ही रहना l
ना रखना कभी दिल में रंजिश कोई भी,
सदा दोस्ती को निभाते ही रहना l
ना कट जाए बस रूठने ही में ये उम्र,
जो शिकवे हों उनको मिटाते ही रहना l
जो हैं ज़ख्म औरों के वो देखना तुम,
मगर दर्द अपना छुपाते ही रहना l
यकीन अब तो ले आओ मुझ पर ज़रा सा,
ना बस उम्र भर आजमाते ही रहना l
हर एक इम्तिहाँ से निकल जाऊँगी मैं,
मेरी चाहे मुश्किल बड़ाते ही रहना l
मनजीत कौर मीशा
जालंधर
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