दिल्ली में द्वारका में एक जगह है जहां पहले कभी एक पीपल का पेड़ हुआ करता था। ये सत्य घटना उसी जगह के इर्द गिर्द घटी थी।
उन दिनों मैं गुड़गांव स्थित आई.बी.एम. दक्ष के इंटरनेशनल कॉल सेंटर में जॉब करता था। तब मेरी ग्रेवयार्ड शिफ्ट चल रही थी। यानी कैब देर रात को पिक अप करने आती थी और सुबह लगभग 9-10 बजे तक घर वापसी हो जाती थी। अपनी मस्ती में उस जॉब को एन्जॉय करते हुए पूरी संजीदगी के साथ कर रहा था।
उस रात ग्रेव यार्ड शिफ्ट में कैब घर से लेने आई। मुझे कैब में ड्राइवर के साथ वाली सीट पर बैठना पसंद है। वो सीट खाली देखकर मैं उसमें बैठ गया। बैठते ही सीट बेल्ट बांध ली।
"रात में इसकी जरूरत नहीं पड़ती!" ड्राइवर बोला।
"कोई बात नहीं, मुझे आदत है गाड़ी में सीट बेल्ट लगाकर बैठने की।" इतना कहकर मैं चुपचाप आगे के नजारे देखने में व्यस्त हो गया। काली अंधेरी रात में स्ट्रीट लाइट के लाल रंग की रोशनी एक अलग ही आनंद देती है मुझे, शायद आपको भी देती हो!
गाड़ी में पुराने गाने चल रहे थे एफ. एम. पर। पीछे से एक लड़की की आवाज़ आई, "भैया, 93.5 एफ. एम. लगा दो न प्लीज!" ड्राइवर ने वो चैनल लगा दिया, जिसमें दौड़ते भागते से गाने चलने लगे, मने अंग्रेजी हिन्दी मिक्स।
ड्राइवर ही नहीं, मैं भी मन मसोस कर रह गया क्योंकि मुझे भी पुराने हिन्दी गाने सुनना पसंद है। खैर, कॉल सेंटर में लगभग 20-22 की उम्र के लड़के लड़कियों की पसंद ही दौड़ते भागते से गाने थे उन दिनों।
गाड़ी डिस्ट्रिक्ट सेंटर, द्वारका मोड़ से होते हुए एक खाली सी रोड पर चढ़ चुकी थी। इतना तो मुझे मालूम था कि ये द्वारका है। इसके ज़्यादा कुछ पता न था।
"कभी कौड़ियों के दामों के यहां के फ्लैटों की कीमत आज लाख करोड़ हो गई है। इसे ही दिन फिरना कहते हैं शायद।" मैं अपनी उधेड़-बुन में सोचते-सोचते आगे की तरफ देखता हुआ निरुद्देश्य सा बैठा था। एक विचार पर अक्सर दूसरा विचार चढ़ बैठता।
आगे घुप्प अंधेरा! सिर्फ गाड़ी की हेडलाइट से ही आगे का रास्ता दिख रहा था। लगभग 12 बज चुके होंगे तब यानी आधी रात हो चुकी थी।
गाड़ी में 8-9 लोग थे। गाड़ी चले जा रही थी कि अचानक मुझे सामने दो लोग दिखे, जिन्होंने शायद लिफ्ट मांगने के लिए हाथ आगे कर रखे थे......
अच्छी तरह से याद है मुझे। काले कपड़े पहने एक महिला और एक बच्चे की आकृति।
"ये बेचारे यहां सुनसान में कहां फंस गए!" यही पहला विचार आया मेरे जेहन में। मैं ड्राइवर से बोल उठा, "भैया, ये दोनों शायद यहां सुनसान में अटक गए हैं। गाड़ी में थोड़ी भी जगह हो तो इन्हें बैठाकर थोड़ा आगे तक छोड़ दो प्लीज!"
"कहां? कौन दोनों?"
मुझे लगा ड्राइवर नहीं ले जाने के लिए नाटक कर रहा है।
उंगली से इशारा करते हुए मैंने उसे बाईं ओर दिखाया, "ये मां बेटे दिखाई ना दे रहे तने!" थोड़ी तड़ी में ही बोला मैं।
लेकिन उसकी आँखों की चौड़ाई देखकर मुझे कुछ अजीब महसूस हुआ।
पीछे बैठी एक लड़की चीखने लगी, बड़बड़ाने लगी। मैं भी हड़बड़ा उठा, ये क्या हुआ अचानक सबको!
इतने में ड्राइवर ने आव देखा न ताव, और गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी। मैं हक्का बक्का था लगभग, कुछ समझ नहीं आ रहा था। मैंने लगभग चीखते हुए उसे कहा, "अबे ये क्या कर रहा है?"
वो बड़बड़ाता सा बोला, "सर, एक मिनट आप चुप रहो!" वो बेहद घबराया हुआ था।
अचानक काले कपड़े पहने उस महिला ने अपने ऊपरी काले कपड़े को गाड़ी की फ्रंट स्क्रीन पर ऐसे फेंका कि पूरी स्क्रीन ढक गई थी। ड्राइवर ने फिर भी गाड़ी नहीं रोकी और गाड़ी बेतरतीबी से चलने लगी थी।
वो बोल उठा, "किसी को हनुमान चालीसा आती है?"
"हां, मुझे आती है!" मैं बोल उठा।
"हनुमान चालीसा बोलो सर!"
मैं शुरु हो गया, "श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि...."
इन कुछेक क्षणों में ड्राइवर का दिमाग बहुत तेज़ी से काम कर रहा था। इस सारे वाकये में उसकी उनींदी सी आंखों से नींद रफूचक्कर हो गई थी।
सामने के कपड़े की वजह से सामने रास्ता दिखना लगभग बंद हो चुका था, हालांकि ड्राइवर ने स्टीयरिंग बिल्कुल सीधा पकड़ रखा था और स्पीड ज़रा कम नहीं की थी।
इतने में मुझे उस कपड़े से रोशनी फूटती सी दिखाई दी। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। ड्राइवर अपने साइड की खिड़की से एक हाथ से उस भारी कपड़े को हटाने की कोशिश कर रहा था। मैंने अपनी ओर की खिड़की से लटकते हुए उस कपड़े को नीचे से ऊपर की ओर पूरा खींचते हुए फ्रंट स्क्रीन पर फेंक सा दिया। इससे ड्राइवर के लिए उसे दूसरी तरफ पूरा खींच देना आसान हो गया।
गाड़ी टेढ़ी मेढ़ी सी चल रही थी क्योंकि उसका सिर्फ एक हाथ था स्टीयरिंग पर। दूसरे हाथ से उसने कपड़ा दाहिने हाथ को लगभग फेंक दिया था कि गाड़ी अचानक रास्ते से उतरती सी लगी, जिसे उसने तुरन्त संभाल कर वापिस रोड पर कर दिया और फिर बाकी बचे कपड़े को भी फेंक दिया नीचे। वो पीछे जाता गया।
मैंने पलटकर देखा तो वो महिला और बच्चा पीछे पीछे दौड़ रहे थे।
"आगे देखो सर.......!"
और कुछ ही क्षणों में गाड़ी सीधी और सुरक्षित चलने लगी।
ड्राइवर के चेहरे पर मुस्कान लौट आई और बोला, "शुक्र है!"
पीछे से सब एक सुर में बोले, "थैंक गॉड!"
हालांकि मैं हक्का बक्का था और उससे पूछ बैठा, "भैया, ये क्या था?"
फिर ड्राइवर ने मुझे कहा, "कभी अच्छे कर्म किये होंगे कुछ कि जान बच गई सर। यहां बहुत से एक्सीडेंट हुए हैं! ये द्वारका का भुतहा इलाका है। पीपल के पेड़ के पास कई लोगों को भूतनी दिखती है।"
उसकी बातों में बाकी पैसेंजर्स ने भी हां में हां मिलाई।
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अतिरिक्त जानकारी
इसी तरह उस जगह के बारे में मेरे फेसबुक फ्रेंड परमजीत नरवाल ने भी नीचे लिखी बातें मुझसे शेयर कीं, जिसके लिए मैं उनका शुक्रगुज़ार हूँ। कृपया पढ़ें 👇
"सन् 2012 में मेरी पोस्टिंग द्वारका सेक्टर 10 में बने द्वारका कोर्ट में हुई थी। आसपास का इलाका तब काफी सुनसान रहा करता था।
कोर्ट के चौकीदारों से भूतिया किस्से सुनने को मिलते थे। कोर्ट के अंदर भी रात को भूतनी दिखने के दावे किए जाते थे।
कोर्ट की 5वीं मंजिल खाली थी। दिन में भी किसी की उस मंजिल में जाने की हिम्मत नहीं होती थी। कुछ लोगों का दावा था कि वहां एक मजदूर औरत एक छोटे बच्चे के साथ दिखती है, जो कोर्ट के निर्माण के वक्त ऊंचाई से गिरकर मर गई थी।
वहां एक लिफ्ट को सीमेंट और ईंटों से बन्द रखा गया है।
कहते हैं कि एक रात चौकीदार को लिफ्ट से एमरजेंसी कॉल आई। एक औरत ने रोते हुए बताया कि वो कोर्ट के शाम 5 बजे, बन्द होने के बाद से अभी तक लिफ्ट में फंसी है। चौकीदार उस लिफ्ट के पास गया। दरवाजा खुलते ही चौकीदार का हार्ट फेल हो गया और वो वहीं मर गया। कहते हैं, यह घटना सी.सी.टी.वी. में भी आई थी। जिसमें लिफ्ट बिलकुल खाली दिखी। उसके बाद से उस लिफ्ट को पूरी तरह से बन्द कर दिया गया।........"
विशेष नोट
द्वारका का वाकया मेरे साथ आज से करीब 10-15 साल पहले हुआ था। सुना है कि उस जगह के आसपास आज मेट्रो स्टेशन है और कुछ साल पहले उसी जगह एक मंदिर भी बना दिया गया था जिसके बाद ऐसी भूतहा घटनाओं की संख्याओं में बहुत कमी आई है।
आपसे अनुरोध है कि यदि आपका भूत प्रेतों में विश्वास न हो तो भी कृपया रेटिंग देते वक्त अपने निजी विश्वास को परे रखकर, एक बार ये विचार ज़रूर करें कि क्या आपको कहानी पढ़कर मज़ा आया? कुछ सिहरन हुई? इस सत्य घटना को लिखने का उद्देश्य ऐसे सभी लोगों का मनोरंजन करना भी है, जिन्हें मेरी तरह हॉरर कहानियां देखना, सुनना और पढ़ना पसन्द है। 🙏
कृपया इसे कॉपी करके शेयर करना चाहें तो मेरा नाम लिखना न भूलें। बहुत बहुत धन्यवाद।
Nice
ReplyDeleteOh my God
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