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Tuesday, October 1, 2019

गूंगी बहू - एक सुन्दर कहानी ( सरोज )

हंसमुख और बातूनी चंचल को आज लड़के वाले देखने अा रहे थे तो उसकी मां ने उसे हिदायत देते हुए समझाया " देख चंचल वो लोग जितना पूछे उतना ही जवाब देना। उनके सामने अपनी मास्टरी झाड़ने मत बैठ जाना और हां ,हर बात पर खी खी कर हंसने मत लग जाना।"

"मम्मी , वह कुछ पूछेंगे तो जवाब तो देना ही पड़ेगा ना और मुझे कोई शौक नहीं है सबके सामने अपनी मास्टरी झाड़ने का। वैसे अभी कौन सी मैं मास्टरनी बन ही गई हूं और मम्मी हंसने की बात होगी तो हसूंगी ही ना।"

" अरे लड़के वालों के सामने थोड़ा शर्माना पड़ता है ।"

"क्यों शर्माना पड़ता है , वैसे लड़का तो आ नहीं रहा। लगता है, शर्मा कर घर बैठ गया है तो अब शर्माऊंगी किससे।" चंचल में चुटकी लेते हुए कहा

"चुप कर बेशर्म , उसका पिता व बड़े भाई बहन आ रहे हैं। कुछ इज्जत रख लियो हमारी ।"

तभी दरवाजे की घंटी बज गई । "लगता है वह लोग आ गए ,तू जा अंदर जब बुलाऊं तब बाहर आना ।"

दरवाजा खोल चंचल के मम्मी पापा ने उनका स्वागत कर बिठाया । कुछ औपचारिकताओं के बाद लड़के की बहनों ने उनसे चंचल को बुलाने के लिए कहा। थोड़ी सी देर में चंचल चाय लेकर आ गई ।चंचल ने सबका अभिवादन किया ।

लड़के के पिता व भाई ने 1 -2 सवाल पूछे फिर वह चंचल के पिता के साथ दूसरे कमरे में चले गए । उनके जाते ही चंचल थोड़ी निश्चिंत हो गई क्योंकि पिता के सामने वह खुलकर बात नहीं कर पा रही थी और मम्मी तो रसोई में बिजी थी।

लड़के की बड़ी बहन ने उससे पूछा " तुम कितनी पढ़ी हो ?"

" b.a. किया है ,नॉन कॉलेज से ।"

वह दोनों एक दूसरे का मुंह देखते हुए बोली" नॉन कॉलेज से मतलब!" तब चंचल ने उन्हें नॉन कॉलेज का मतलब समझाया।

" दीदी आप दोनों कहां तक पढ़ी हो?" चंचल ने पूछा ।चंचल का सवाल सुन वह दोनों एक दूसरे का मुंह देखने लगी उन्हें उम्मीद नहीं थी कि वह भी कुछ पूछ सकती है। उन्होंने खिसियाते हुए कहा "आठवीं और दसवीं तक।"

"अच्छा ,तुमने जेबीटी की है ना ?"लड़के की दूसरी बहन ने पूछा । "नहीं दीदी मैंने E.T. E किया है।"

" हमने तो सुना था तुमने प्राइमरी टीचर का कोर्स किया है। ।"

"हां दीदी किया है ।"

"पर तुम तो मना कर रही हो कि तुमने जेबीटी नहीं की ।" "दीदी जेबीटी हरियाणा में होती है , दिल्ली में इस कोर्स को E .T .E कहते हैं ।"चंचल ने मुस्कुराते हुए कहा । धीरे धीरे चंचल अपनी रौ में आ गई थी ।वह दोनों एक सवाल पूछती वह दो जवाब देती। तभी दूसरे कमरे से लड़के के पिता ने उन्हें सलाह मशविरे के लिए बुलाया उन्होंने अपनी बेटियों से पूछा कैसी लगी लड़की। तो बड़ी बहन थोड़ा मुंह बनाते हुए बोली" पिताजी रंग रूप तो आपने देख ही लिया है और डिग्रियां भी सभी सही है ।" "तो फिर क्या कमी है ?"

"बस बोलती थोड़ी ज्यादा है ।"

उसके इस जवाब को सुन लड़के का बड़ा भाई जो इतनी देर से चुप बैठा, सब सुन रहा था तुनककर बोला " गूंगी बहू ले आओ, बोलेगी ही नहीं।" यह सुन दोनों बहने चुप हो गई ।और रिश्ता पक्का हो गया ।

आज भी शादी के बाद चंचल के पति बहस होने पर या गुस्से में जब भी उससे कहते हैं " कितना बोलती हो तुम।" तब चंचल धीरे से यही डायलॉग मार देती है " गूंगी बहू ले आते बोलती ही नहीं।"

सरोज

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