गमों को भूल जाता हूँ
तभी तो मुस्कुराता हूँ।
ग़ज़ल सी तू लगे मुझको
तुझे ही गुनगुनाता हूँ।
बुरा वो मान जाते जब
नज़र उनसे हटाता हूँ।
मेरी धड़कन बढ़े जब भी
उसी को तो सुनाता हूँ।
मुहब्बत खर्च है मेरा
मुहब्बत ही कमाता हूँ।
उसे भी नाज़ होता है
जिसे अपना बनाता हूँ
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