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Friday, June 14, 2019

परियड के प्रति अंधविश्वास क्यों

मैं अपने कमरे में बैठा पढ रहा था कि अचानक मेरी टेबल पर रखें मेरे मोबाइल फोन से बजनें वाली रिंगटोन ने मेरा ध्यान अपनी ओर खींचा | मैं मोबाइल की सक्रीन पर चमक रहे नाम को देखकर निश्चित हो गया था | ये चमकने वाला नाम मेरी गर्लफ्रेड नेहा का था |
' हैलों ! '
‎' जान ! मैं आज बहूत खुश हूँ , पुछों कैसे ? 'आज उसकी आवाज से लग रहा मानों उसकी खुशियाँ बाहर आनें को बेकाबू थी |
' हाँ ! बता ना '
' मैं मौसी बन गई ओर आप मौसा ! '
मैं बीच में ही बोल उठा |
' मैं मौसा ? '
'हाँ ! मौसा जी '
सच में प्रेमीयों की दुनिया सपनों पर बसती है | आज उसकी बात से ये बात तय हो चुकी थी | जब दोस्त को पसंद आने भर से कोई लडकी , लडके के सारे दोस्तों की भाभी कैसे बन जाती है | ये उसकी बात मैं उसकी इस बात से जान चुका था अभी अभी |
' बधाई हो नेहा मौसी को '
' आपको भी बधाई हो , बेबी के मौसा जी ! ' वो 'मौसा जी ' पर जोर देते हूए जोर से हँसने लगी |
'तु है कहाँ पर ? ' मैनें नेहा से पुछा |
' घर पर 'ही ' हूँ ! ' उसकी आवाज से सारी खुशी अचानक गायब हो चुकी थी .अचानक मुझे ऐसा लगा|
' क्या हूआ ? तु अस्पताल नही गई कल तो बोल रही थी तु बेबी को सबसे पहले देखेगी ' मैनें एक साथ अपनी बात पुरी की |
' हाँ ! पर..'
' पर !क्या ? '
' कुछ नही ! आपको बताने लायक नही ..'
मैं नेहा की बात बीच में ही काटतें हूए बोल पडा |
' मुझे बताने लायक नही ? हमारे बीच अब रह ही क्या गया है जो बताने लायक नही हो ? बता ? '
' नही ! '
' नही बताना क्या तुझे ? ' मैनें झुठमुट की नाराजगी भरी आवाज मैं कहा |
' क्या बताऊँ ? आज परियड आया है मुझें ! '
' अच्छा ! तब कोई बात नही तु नही जा सकती तो '
' नही ! वो बात नही है जान ! '
' तो ? '
' माँ ने मना कर दिया , बोलते हैं परियड में बेबी से नही मिलते अप सगुंन होता है ..'
मैं अचानक मानों जैसे तिलमिला उठा था |
' कौनसी दुनियाँ में रह रहें है तेरे घर वाले ? अकल वक्ल है क्या उन लोगों को , परियड एक शारीरिक क्रिया है ......
सच में आज अहसास हूआ , हम अब भी परियड को लेकर कितने अंधविश्वासों में जी रहे हैं | न जाने कब आएगा वो दिन जब हम सब ओर खासकर महिलाएं इसके प्रति सहज होगी , न जाने कब परियड को एक शारीरिक क्रिया माना जाएगा , न जानें कब परियड को अंधविश्वासों से दूर कर पाएगें ..

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