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Friday, December 15, 2017

Ganga Ka Ye Pawan Jal - अरुण जैसल

अविरल , कोमल ,चंचल ,निर्मल !
गंगा का यह पावन जल ,
थोड़ा चंचल ,थोड़ा शीतल ,
गंगा का यह पावन जल ,
जो दरिया मिल जाए इसमें ,
वह भी गंगा का पावन जल ,
कभी न शांत हो ,
हवा जब शांत हो ,
चले यह हर पल! ,
गंगा का यह पावन जल ,
जब कोई स्नान करे ,
जाए यह तब उछल- उछल ,
गंगा का यह पावन जल ,
काशी की ‘गरिमा ‘,
शिव की ‘महिमा ‘,
है गंगा का पावन जल ,
देश- देश से आये वासी,
देखने गंगा का  पावन जल ,
धन्य हुए है काशीवासी  ,
पाकर यह गंगा का पावन जल ,
अविरल, कोमल, चंचल, निर्मल ,
गंगा का यह पावन जल !
—- अरुण जैसल
{ काशी हिन्दू विश्वविद्यालय }

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