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Saturday, June 15, 2019

अंधा दामाद

सुशीला को पूरे मोहल्ले की खबर होती थी । शाम होने पर दिन भर की कानाफूसी चौपाल पर महिलाओं के साथ न कर ले,,, तो मजाल है ,, कि रात का खाना हजम हो जाएं ।
रोज की तरह आज भी चौपाल पर महिलाओं की बैठक है ।
सुशीला- देखो ! उस लीला को , सायानी लड़की का रिश्ता एक अंधे लड़के से कर दिया । कुछ भी ,, सोचा समझा नहीं । जैसे कि बेटी बोझ हो उस पर ।
एक महिला - पर,, उसकी लड़की का भी तो पैर ख़राब है सुशीला !
सुशीला - हाँ हाँ,, जानती हूँ ,,पैर ख़राब है , आँख तो नहीं । ऐसा अंधा दामाद ढूंढने की क्या जरूरत थी ?
ऐसे भी लीला की लड़की के पैर में थोड़ी सी लचक ही तो है,, जरा और ढूंढती तो बढ़िया लड़का मिल जाता ओर तो ओर उसकी बिरादरी का भी नहीं है ।
एक महिला - ये लो लीला आ गयी ।
सुशीला- क्यो री लीला ,, सुना है तूने लड़की की शादी पक्की कर दी ,, और मैंने सुना तेरा दामाद अंधा है ...
लीला- नहीं , नहीं, सुशीला अंधा नहीं है । बचपन में एक आँख में क्रिकेट की गेंद लग गयी थी उसे ,, इसलिए एक आँख से थोड़ा कम दीखता है उसे ,,, बस । ।
सुशीला - बस क्या लीला ? ,, एक आँख से कम दिखे या दोनों आँख से । कहा तो अंधा ही जायेगा । सभी महिलाएं हँस देती हैं ।
लीला - तुम जो भी कहो सुशीला ,, मेरा दामाद लाखो में एक है ,, कलेक्टर ऑफिस में बड़ा बाबू है । अच्छे-खासे संस्कारी लोग है, दहेज़ की तो कोई मांग ही नहीं की । मेरी बेटी जीवन भर खुश रहेगी ।
बस बस ठीक है ,, एक खराबी होती है तो बाकी खूबियां लोग नहीं देखते । मैं तो तुझे समझा रही थी कि अभी भी समय है ,, रिश्ता तोड़ दे । तेरी बेटी को अच्छा रिश्ता मिल जायेगा और अपनी बिरादरी में भी मिल जाएगा । सुशीला ने एक और तंज कस दिया ।
लीला अब खामोश खड़ी थी वह सुशीला को कुछ समझाना नहीं चाहती थी अब ।
एक महिला बोली कि देख सुशीला ! कौन आया ?
सुशीला - अरे ! बेटी तू ,,,, और कैसे आयी ? दामाद जी नहीं आये । कैसे है दामाद जी । बढ़िया ही होंगे , आख़िरकार मेरा दामाद एक बड़ा सरकारी अधिकारी जो है , और लीला, हमारी बिरादरी का सबसे प्रतिष्ठित परिवार है उनका । बहुत मान - सम्मान है ,, समाज में ।
सुशीला की बेटी - अंधा है , तुम्हारा दामाद माँ.. ।
दहेज़ का अंधा , लालच का अंधा, पैसो का अंधा । शादी के 2 साल बाद भी उन्हें मुझसे नहीं तेरे पैसो से प्यार है । इस बार पुरे 2 लाख की डिमांड करी है । इससे तो अच्छा होता माँ , कि तू मेरी शादी किसी अंधे से करा देती ।
और पूरा माहौल शांत हो चूका था । भीगी आँखों से सुशीला ने लीला की और देखा और लीला ने आँखों से ही शायद सुशीला को माफ कर दिया ।

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