मौसम ने ली अँगड़ाई, बहार रुत छाई.
पोह की बनाई खीर माघ को खाई.
साथ में खाआ साग.
आया माघ आया माघ.
रात को हमने लोहड़ी मनाई,मुंगफली,रेवड़ी खूब खाई .
ढोल की थाप पे छमछम नाचे थे, बीच जलाई थी आग.
आया माघ, आया माघ.
अब डरावनी ठंडी जायेगी, मीठी-सुहानी रितू आयेगी.
खामोश हुए पंछी भी चह-चहाऐगे, छत पे बोलेगा काग.
आया माघ, आया माघ.
आज है दिन मगर संक्रांत, 'टांडी'उठ सवेरे जाग,
मंदर -गुरूदुआरे माथा टेको, हो रहा कीर्तन राग.
आया माघ, आया माघ.
नया साल है नई उमंगें, आसमान पे उड़गी पतंगें.
बच्चो की किलकारीयां गूजेगीं, हर घर में खनकेंगी वंगें ़
माघ के पीछे चलता आएगा उसका भाई फाग.
आया माघ, आया माघ.
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