1- वो जिसका तीरे छुपके से जिगर के पार होता है,
वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है,
किसी से अपने दिल की बात तू कहना ना भूले से,
यहां खत भी जरा सी देर में अखबार होता है..!!
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2- नज़र में शोखिया लब पर मुहब्बत का तराना है,
मेरी उम्मीद की जद़ में अभी सारा जमाना है,
कई जीते है दिल के देश पर मालूम है मुझकों,
सिकन्दर हूं मुझे इक रोज खाली हाथ जाना है..!!
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3- बदलने को तो इन आखोँ के मंज़र कम नहीं बदले ,
तुम्हारी याद के मौसम,हमारे ग़म नहीं बदले ,
तुम अगले जन्म में हम से मिलोगी,तब तो मानोगी ,
ज़माने और सदी की इस बदल में हम नहीं बदले..!!
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4- सखियों संग रंगने की धमकी सुनकर क्या डर जाऊँगा?
तेरी गली में क्या होगा ये मालूम है पर आऊँगा,
भींग रही है काया सारी खजुराहो की मूरत सी,
इस दर्शन का और प्रदर्शन मत करना, मर जाऊँगा..!!
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5-उसी की तरहा मुझे सारा ज़माना चाहे,
वो मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहे,
मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा,
ये मुसाफिर तो कोई ठिकाना चाहे..!!
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6- हिम्मत ए रौशनी बढ़ जाती है,
हम चिरागों की इन हवाओं से,
कोई तो जा के बता दे उस को,
चैन बढता है बद्दुआओं से…!!
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7- क़लम को खून में खुद के डुबोता हूँ तो हंगामा,
गिरेबां अपना आँसू में भिगोता हूँ तो हंगामा,
नहीं मुझ पर भी जो खुद की ख़बर वो है ज़माने पर,
मैं हँसता हूँ तो हंगामा, मैं रोता हूँ तो हंगामा…!!
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8-बदलने को तो इन आखोँ के मंज़र कम नहीं बदले ,
तुम्हारी याद के मौसम,हमारे ग़म नहीं बदले ,
तुम अगले जन्म में हम से मिलोगी,तब तो मानोगी ,
ज़माने और सदी की इस बदल में हम नहीं बदले..!!
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9-तुम अमर राग-माला बनो तो सही,
एक पावन शिवाला बनो तो सही,
लोग पढ़ लेंगे तुम से सबक प्यार का,
प्रीत की पाठशाला बनो तो सही..!!
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10-सदा तो धूप के हाथों में ही परचम नहीं होता,
खुशी के घर में भी बोलों कभी क्या गम नहीं होता,
फ़क़त इक आदमी के वास्तें जग छोड़ने वालो,
फ़क़त उस आदमी से ये ज़माना कम नहीं होता..!!
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11-कोई मंजिल नहीं जंचती, सफर अच्छा नहीं लगता,
अगर घर लौट भी आऊ तो घर अच्छा नहीं लगता,
करूं कुछ भी मैं अब दुनिया को सब अच्छा ही लगता है,
मुझे कुछ भी तुम्हारे बिन मगर अच्छा नहीं लगता..!!
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12- पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार क्या करना,
जो दिल हारा हुआ हो उस पे फिर अधिकार क्या करना,
मुहब्बत का मजा तो डूबने की कशमकश में है,
हो ग़र मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना..!!
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13- हमने दुःख के महासिंधु से सुख का मोती बीना है,
और उदासी के पंजों से हँसने का सुख छीना है,
मान और सम्मान हमें ये याद दिलाते है पल पल,
भीतर भीतर मरना है पर बाहर बाहर जीना है..!!
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14- चंद चेहरे लगेंगे अपने से ,
खुद को पर बेक़रार मत करना ,
आख़िरश दिल्लगी लगी दिल पर?
हम न कहते थे प्यार मत करना…!!
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