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*संगत मे शुद्ध विचार*
*और*
*पंगत मे शुद्ध आहार*
*न हो तो*
*छोड़़ देने मे ही बुद्धिमानी है।*
*चक्रव्यूह रचने वाले सारे अपने ही होते हैं.!*
*कल भी यही सच था*
*और आज भी यही सच है.!!*
*संभाल के रखना अपनी पीठ को*
*'शाबाशी' और 'खंजर' दोनो यहीं पर मिलते है.!!!*
🙏 सुप्रभात 🙏
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